Saturday, August 14, 2021

भारत विभाजन:बीसवीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदी

इतिहास के पन्नों पर खूनी स्याही से अंकित आज की तारीख़ 14 अगस्त  हमेशा एक ऐसा घाव बनकर रहेगी जो कभी भर नहीं सकेगा। यह वह तारीख़ है जिसने सिर्फ़ भारत की जमीन के ही दो टुकड़े नहीं किये  बल्कि यह वह दिन है जिसने हमारे दिलों को,रिश्तों को,परिवारों को तथा भावनाओं को बाँट कर रख दिया था। 

इस तारीख़ ने भारत का बंटवारा दो तरह से किया। एक तो पाकिस्तान बनाकर और दूसरा बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग करके उसे पूर्वी पाकिस्तान में तब्दील कर दिया था,जो बाद में बांग्लादेश बना। हाँ, यही बांग्लादेश जहाँ आज तालिबानियों ने कब्ज़ा कर रखा है।

इतिहास की किताबें उठाकर पढ़िए तो 1947 में इस तिथि को हुए बंटवारे के मुख्य कारण अंग्रेज़ों की षड्यन्त्रकारी नीति एवं मुस्लिम लीग की साम्प्रदायिकता वाली नीति थी। 

कांग्रेस हिन्दू संस्था थी,यह तो मुझे नहीं पता किन्तु अंग्रेज इसे हिन्दू संस्था कहकर ही मुस्लिम लीग को भड़का रहे थे। इस भड़काव के चलते ही मुसलमानों ने एक स्वतंत्र राष्ट्र की चाहत पाल ली लिहाजा 14 अगस्त 1947 को एक नया राष्ट्र पैदा हुआ-पाकिस्तान। नया राष्ट्र तो बन गया किन्तु दोनों देशों के बीच की सीमा तय करना टेढ़ी खीर थी। इस सीमा तो तय करने में 17 अगस्त तक का समय लग गया। 

17 अगस्त को सीरिल रेडक्लिफ ने दोनों देशों के बीच एक रेखा खींच दी और इस प्रकार खड़ी हो गयी हिन्दू-मुस्लिम-विवाद की दीवार। यह ऐसी मजबूत दीवार है जो शायद कभी ढह न सकेगी और इस विवाद का प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ता रहेगा ।


भारत विभाजन बीसवीं सदी की एक सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में याद किया जाता रहेगा। इस तारीख और घटना को प्रत्येक भारतीय को जानना चाहिये क्योंकि बंटवारे के वक्त जो खूनी खेल हुआ था उसे याद करके दिल दहल जाता है। जिन लोगों ने एक साथ आजादी का सपना देखा वे ही एक- दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे थे। 

अंग्रेज तो चले गए किन्तु जाते-जाते वे हमारे देश को एक लकीर दे गए। कौन जानता था कि जिस आजादी के लिए इतने संघर्ष किये,इतनी लड़ाइयाँ लड़ीं वह आजादी मिलेगी तो इस तरह ! किसी को नहीं पता था कि आजादी की कीमत यह विभाजन रेखा होगी। 


इस एक लकीर की वजह से दुनिया ने सबसे बड़ा विस्थापन देखा। पूरे लगभग 1.45 करोड़ हिन्दू विस्थापित हुए।
#फ़ोटो साभार गूगल
                           ✍️ अनुज पण्डित

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