Sunday, August 21, 2022

प्रो. पाण्डेय को मिला "संस्कृत-गौरव सम्मान"

उत्तर प्रदेश का चित्रकूट जनपद रामायण काल से ही अध्यात्म एवं प्राकृतिक सम्पदा-सम्पन्न रहा है। यह हमारे आराध्य श्रीराम की कर्मस्थली तो रहा ही, साथ ही अनेक ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी है। यहाँ जन्मे कई प्रतिभाशाली एवं विद्वानों ने देश,विदेश में  इसका गौरव बढ़ाया है। यह सच है कि कई वर्षों से डाकुओं से प्रभावित रहने के कारण यह क्षेत्र विकास की राह पर कदम नहीं रख सका था किन्तु यहाँ के प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों की प्रतिभा पर कोई आँच न आ सकी। ये व्यक्तित्व निरन्तर वाग्देवी की उपासना एवं सृजन में संलग्न  रहे।


 इन्हीं व्यक्तित्वों में एक नाम है प्रो.रमाकान्त पाण्डेय का जिनका जन्म मानिकपुर तहसील के अंतर्गत बीहड़ में बसे सकरौंहा गाँव में हुआ। 


09 अगस्त सन् 1966 को जन्मे प्रो. पाण्डेय की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में तथा माध्यमिक शिक्षा मानिकपुर स्थित श्री मती पकौआ देवी संस्कृत महाविद्यालय में हुई। आगे की शिक्षा हेतु ये वाराणसी स्थित सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय गये। इसके बाद डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय,सागर से  विश्वप्रसिद्ध मनीषी आचार्य प्रवर प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी के निर्देशन में शोधकार्य करके पी-एच.डी. एवं डी. लिट्. की उपाधि प्राप्त की। 

उच्च शिक्षा की डिग्रियाँ हासिल कर प्रो.पाण्डेय सर्वप्रथम पूना विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए। तदनन्तर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नई दिल्ली में डायरेक्टर,जयपुर परिसर में प्रोफेसर  तथा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के  दूरस्थ शिक्षा-विभाग के अधिष्ठाता पद को अलंकृत करते हुए  केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के विभिन्न परिसरों में अध्यापन-कार्य किया है। देश के अतिरिक्त बैंकॉक आदि विदेशों में दिए गए इनके अनेक व्याख्यानों से कई संस्कृतानुरागी एवं शोधार्थी लाभान्वित हुये हैं।वर्तमान में आप केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, भोपाल परिसर में डायरेक्ट के पद को अलंकृत कर रहे हैं।

व्याकरण,साहित्य,नव्यन्याय,भारतीय एवं पाश्चात्य समीक्षा शास्त्र,लिपि-विज्ञान,तथा काव्यशास्त्र प्रभृति विभिन्न विधाओं में विशेषज्ञता रखने वाले, संस्कृत,संस्कृति एवं साहित्य-साधना में रत प्रो.पाण्डेय न केवल उद्भट विद्वान् हैं अपितु उत्कृष्ट रचनाकार भी हैं। इनके द्वारा प्रणीत कुल 65 ग्रन्थ,182 शोधपत्र तथा अनेक समीक्षाग्रन्थ, कविताएँ, कहानी आदि प्रकाशित हैं। समीक्षा एवं अनुसन्धान के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि रखने वाले प्रो. पाण्डेय को अब तक लगभग 15 राष्ट्रस्तरीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।


 पुरस्कार एवं सम्मान की शृंखला में प्रो.पाण्डेय को अभी 20 अगस्त 2022 को "अखिल भारतीय संस्कृत साहित्य सम्मेलन,नई दिल्ली" द्वारा एक लाख रुपये की राशि,सम्मान चिह्न एवं श्रीफल देकर "संस्कृत-गौरव सम्मान" से अलंकृत किया गया है। 

प्रो. पाण्डेय को प्राप्त हुए इस सम्मान से न केवल इनके माता-पिता( पं. श्री जयनारायण पाण्डेय-स्व.विद्यावती),सहोदर कनिष्ठ भाई  एआरटीओ डॉ. उदित नारायण पाण्डेय  का नाम रोशन हुआ है बल्कि  सकरौंहा गाँव,चित्रकूट जनपद सहित समस्त संस्कृत जगत् का गौरव बढ़ा है। चित्रकूट के ऐसे व्यक्तित्व निश्चित रूप से इस क्षेत्र के युवाओं तथा सरस्वती के उपासकों के लिए प्रेरणा एवं उत्साह के स्रोत हैं।

इस महती उपलब्धि हेतु प्रो. रमाकान्त पाण्डेय जी को हार्दिक बधाई💐🙏
                     ✍️ अनुज पण्डित

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