Friday, August 21, 2020

हाथी पार्क की हकीकत

 इलाहाबाद स्थित 'सुमित्रानन्दन पंत बालोद्यान ' एक क्रीड़ास्थल या पार्क है|..इस क्रीडा स्थल को हाथी पार्क के नाम से भी अभिहित किया जाता है |...

यूँ तो यह पार्क इलाहाबाद के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में गण्यमान् है किन्तु इस पार्क की स्थिति, रख-ऱखाव तथा देख-रेख अत्यन्त दयनीय और शिथिल है |.....

     

मेरे चित्र के पीछे यह जो हाथी की प्रतिमा दिखाई दे रही है, इसी के नाम पर शायद इसे हाथी पार्क के नाम से पुकारा जाता है किन्तु इस हाथी का दाहिना कान और एक दाँत क्षत-विक्षत होकर धरा में गिरे पड़े पार्क की शोभा बढ़ा रहे हैं!! पार्क में स्थापित गाय,जिराफ़ तथा हाथी की प्रतिमाएँ अपनी चमक और सुन्दरता को पूर्णतया खो चुकी हैं जो कि प्रशासन की लापरवाही बयाँ करती हैं!!..  .... 

बालोद्यान इसलिए है क्योंकि इस हाथी के शरीर के अन्दर बच्चे प्रवेश करते हैं तथा तीव्र गति से हाथी की जिह्वा के सहारे बाहर आते हैं..!! इसके अतिरिक्त दो-तीन छोटे झूले भी लगे हैं किन्तु इन झूलों में बच्चे कम और प्रेमी युगल अधिक झूलते हैं!!!... दरअसल इस पार्क में मैं प्रथम और अंतिम बार गया हूँ!! 

 प्रथम बार जाने का कारण बताना आवश्यक नहीं किन्तु अन्तिम बार का कारण यह है कि इलाहाबाद में जितने भी पार्क हैं, सबके सब प्रेमी युगलों से भरे हुए मिलते हैं.... घूमना, टहलना तथा प्राकृतिक रमणीयता का आनन्द लेना तो वाजिब़ है किन्तु प्रेमी-प्रेमिकाओं द्वारा जो एक -दूसरे पर प्रेम बरसाने की अदाएँ हैं, उनसे पार्क का वातावरण दूषित हो चुका है तथा बदनाम स्थल के नाम से भी प्रसिद्ध हो चुके हैं!!.  .

मैं पूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि ऐसे प्रेमी युगल संस्कारहीन परिवारों के बच्चे होते हैं जो आते तो हैं यहाँ शिक्षा ग्रहण करने किन्तु लिप्त हो जाते हैं रासलीला में!! इस प्रकार पशुतुल्य आचरण  सार्वजनिक स्थलों में करना जहाँ पर लोग सपरिवार पर्यटन हेतु आते हैं. ...  बेहद शर्मनाक है....! चाहे बगल से राष्ट्रपति निकल जाएँ परन्तु ये ढींठ लैला-मजनू अपने आलिंगन की पकड़ ढीली नहीं कर सकते!!  ...

भारद्वाज पार्क से लेकर आजाद पार्क, खुसरो बाग तथा आनन्द भवन तक सभी रमणीय स्थल मानो प्रिया मिलन स्थल बन चुके हैं!!.... यही कारण है कि मैं किसी पार्क की ओर  दोबारा उन्मुख नहीं हुआ क्योंकि खुद पर शर्म आती है खुद को ऐसे संस्कारहीन लोगों के बीच पाकर!!..

खैर..!  मेरा अभिप्राय किसी के व्यक्तिगत जीवन में झाँकना नहीं है... मैं तो बस इस बालोद्यान की दशा बता रहा हूँ जो अत्यंत जर्जरावस्था में है!!... 

आप सब भी अवश्य आइए इस बालोद्यान (हाथी पार्क)  में!! 

                   ✍️अनुज पण्डित

No comments:

Post a Comment

भक्ति और उसके पुत्र

🍂'भज् सेवायाम्' धातु से क्तिन् प्रत्यय करने पर 'भक्ति' शब्द की निष्पति होती है,जिसका अर्थ है सेवा करना। सेवा करने को 'भ...