Sunday, August 30, 2020

चित्रकूट के मड़फा में है ऐतिहासक शिवमन्दिर


प्राचीन भारतीय साहित्य में वर्णित चित्रकूट सदा से आध्यात्मिक एवं प्राकृतिक आकर्षण का केंद्र रहा है। इस जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे क़ई ऐतिहासिक स्थल हैं जो भारतीय स्थापत्य कला एवं आस्था के प्रमाण हैं। क़ई प्राचीन मंदिर ऐसे हैं जिन्हें देखकर यह कहा जा सकता है कि इनका निर्माण चन्देलशासकों ने करवाया था।


जनपद चित्रकूट के रामनगर विकास खण्ड के अंतर्गत दशवीं शताब्दी के आस-पास बना एक मंदिर है जिसे  "मड़फा शिवमन्दिर" के नाम से जाना जाता है। 


लाल कमलपुष्पों से आच्छादित कूमर्दो सरोवर के तट पर स्थापित इस मन्दिर के भग्नावशेषों को देखकर आँखों के समक्ष क्रूर औरंगजेब का घिनौना चेहरा मंडराने लगता है। कटी हुई मूर्तियाँ, खण्डित आमलक एवं अन्य अवशेष    स्वतः बोल पड़ते हैं कि हमारी यह दुर्दशा उसी जेहादी औरंगजेब ने किया है 


ऐतिहासिक एवं धार्मिक आस्था हेतु प्रसिद्ध तथा खंडहर हुए इस मंदिर को "प्राचीन संस्मारक एवं पुरातात्विक स्थल अवशेष अधिनियम -1958 एवं 2010" के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित करते हुए भारतीय पुरातत्त्व विभाग ने अपने अधीन संरक्षित कर लिया है।


पुरातत्त्व के निर्देश पर इस मंदिर के अवशेषों की सुरक्षा हेतु नियुक्त फूलचन्द्र शुक्ल ने बताया कि लगभग तीन-चार वर्ष पहले इस मंदिर का कामचलाऊ जीर्णोद्धार किया गया था। इस मंदिर की प्राचीनता का अंदाजा एक और बात से लगता है कि त्रेता में श्रीराम वनवास के दौरान इस सरोवर पर स्नान किये थे और यहाँ स्थापित शिवलिंग के दर्शन किये थे।

मन्दिर और इसके प्रांगड़ की बात करें  तो इस मंदिर के गर्भगृह के चारों तरफ गङ्गा-जमुना-सरस्वती एवं काली की प्रतिमाएँ दीवारों पर ही गढ़ी गयी हैं। टूटी हुई नन्दी बैल की प्रतिमा सहित   बुद्ध की प्रतिमा भी है जो यहाँ से कुछ दूरी पर नहर के उस पार स्थापित थी किन्तु बाद में इसी मंदिर की सीमा के अंदर रख दी गयी।

पुरातत्त्व विभाग ने इस मंदिर सहित इसके अवशेषों को अपने अधीन तो कर लिया किन्तु इसे आकर्षक एवं सुंदर बनाने हेतु इसके  नवनिर्माण की आवश्यकता अभी भी है ताकि पर्यटकों का मन आकृष्ट हो सके और बिखरे पड़े अवशेषों को व्यवस्थित किया जा सके।


               ✍️ अनुजपण्डित

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