Saturday, October 17, 2020

माँ दुर्गा से सम्बंधित सुंदर श्लोक

🍂भारतीय संस्कृति का प्रमुख एवं सबसे अधिक दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार नवरात्रि का प्रारम्भ हो चुका है।

आज प्रथम दिवस पर जगदम्बा की स्थापना करते हुए उनके नौ रुपों में प्रथम माँ शैलपुत्री की आराधना की जाती है।


नौ दिनों तक नियमित सम्पूजा एवं दुर्गा सप्तशती   का पाठ माँ के भक्तों द्वारा किया जाता है।
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यूँ तो शक्तिस्वरूवा देवी से सम्बन्धित सभी मंत्र,स्तोत्रादि पुण्य फलप्रदायी हैं किंतु आदिशंकराचार्य द्वारा  "कनकमंजरी" छन्द में विरचित "महिषासुरमर्दिनि-स्तोत्र"  पढ़कर जो असीम सुख और आनन्द प्राप्त होता है, वह अलौकिक ही  है।


इक्कीस श्लोकों में आबद्ध इस स्तोत्र में आदि शंकराचार्य ने जिस तरह से पदस्थापन किया है, उसे पढ़कर यह स्वयमेव पता चलता है कि सच में उनसे बढ़कर उनके बाद कोई विद्वान् इस धरा पर अवतरित नहीं हुआ।

तो आइए देखते हैं उसी स्तोत्र का एक सुंदर श्लोक जिसकी गेयता और भावार्थ दोनों ही हृदयाह्लादक  हैं-
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अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रिय वासिनि हासरते।शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमालय शृङ्गनिजालय मध्यगते।मधुमधुरे मधुकैटभ गञ्जिनि कैटभ भञ्जिनि रासरते।जय जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।

     अर्थात्- हे जगत् की माता! आप कदम्ब-वृक्ष पर प्रेम पूर्वक निवास करती हैं। सदा संतुष्ट रहने वाली आप  हास-परिहास में सदा रत रहती हैं। 

पर्वतों में श्रेष्ठ और ऊँचे हिमालय की चोटी पर आप अपने भवन में वास क़रती हैं। शहद से भी अधिक मधुर स्वभाव वाली आपने ही मधु-कैटभ नामक दैत्यों का संहार किया है। 

महिषासुर को विदीर्ण करने वाली आप सदा रासक्रीड़ा में निमग्न रहती हैं। आप भगवान् भूतभावन की प्रिय पत्नी हैं। 

हे महिषासुर का मर्दन करने वाली भगवति! आपकी जय हो,जय हो,जय हो।
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   🙏 शारदीय नवरात्रि की  मंगलकामनाएँ🙏

                    
                    ✍️अनुजपण्डित

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