आधुनिक समाज का एक बहुत बड़ा तबका अज्ञानता और चपरबाजी के आगोश में जकड़ा हुआ है। अध्ययन छटाँक भर का नहीं है किंतु ज्ञान उड़ेलते हैं पसेरी भर!
मैं दावे के साथ कह रहा हूँ कि कभी स्वप्न में भी आदिकाव्य रामायण और तुलसीकृत रामचरितमानस के पन्नों को न पलटने वाले लोग प्रभु राम और लंकापति रावण के को लेकर मनगढ़ंत कहानियाँ रचते हैं और जबरदस्ती रावण को श्रेष्ठ साबित करने के कयास लगाते हैं।
राम के देश में रावण की पूजा करना भला कहाँ तक तर्कसंगत है? यह विडम्बना है कि लोग रावण जैसे अपराधी के प्रति सहानुभूति दिखाने का ढोंग कर जाति के नाम पर समाज को बाँटने का काम रहे हैं। ईश्वर के नाम और उनकी लीला में जाति खोजना अल्पमति कहलाना है।
सनातन संस्कृति,आदर्शों,मूल्यों एवं आस्था को फूटी आँखों से भी न देखने वाले लोग ही मूल पौराणिक कथाओं को तोड़ मरोड़ कर परोसते रहते हैं ताकि हमें अपने ही देवताओं,परम्पराओं एवं मान्यताओं पर संदेह होने लगे।
मैं मात्र यह कहना चाहता हूँ कि आप लोग अपने मूल ग्रन्थों को पढ़ें,समझें और उन्हीं बातों पर अमल करें। व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी पर जन्मी अप्रमाणित जानकारी हर तरह से घातक है।
समाज के दुश्मन जानते हैं कि हम में से बहुत से लोग वेदों,उपनिषदों,पुराणों,आर्षकाव्यों आदि का अध्ययन नहीं करते इसलिए कुछ भी भ्रामक बात फैलाएंगे तो ये लोग मान जाएंगे किन्तु आपको बहकावे में नहीं आना है।
अपने पवित्र ग्रन्थों को ठीक से पढ़कर उन पर विश्वास कीजिये ताकि आपकी आस्था,मान्यता,और भक्ति को किसी तरह की आँच न आये।
✍️अनुजपण्डित
Very true
ReplyDeleteबिल्कुल सत्य कहा आपने।
ReplyDeleteधन्यवाद। जय श्री राम
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