🍂शिव के नाम पर कालाबाजारी
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आधुनिक समाज का एक बहुत बड़ा तबका भक्ति, आस्था और मान्यताओं को रौंदकर अश्लीलतायुक्त आचरण करने पर उतारू है। जिस देश में भगवान् शिव,श्री राम और श्रीकृष्ण को आराध्यदेव का दर्जा प्राप्त है, उसी देश में इन नामों की आड़ में अप्राकृतिकता परोसी जा रही है।
एक ओर कल्याणकारी शिव के एक नाम महाकाल के नाम पर अधिसंख्य युवक खुद को तीस मार खान समझ रहे हैं तो दूसरी ओर समाज को दूषित करने वाला बॉलीवुड विभिन्न गानों एवं दृश्यों के माध्यम से हमारे आदर्श देवों की छवि धूमिल कर रहा है।
सोशल साइट्स पर ऐसे-ऐसे लोग महाकाल का अनन्य भक्त होने का ढोंग रच रहे हैं जिन्होंने कभी एक मिनट भी भोलेनाथ का नाम जपने की जहमत नहीं उठायी। एक स्लोगन ऐसा है जो बहुत तेजी से लोगों की टाइमलाइन पर दौड़ रहा है-
"अकाल मृत्यु वह मरे, जो काम करे चण्डाल का।
काल भी उसका क्या करे, जो भक्त हो महाकाल का।।"
संहारकर्ता शिव को महाकाल के नाम से अभिहित किया जाता है। शिव में वह परमशक्ति है जो होनी को भी टाल सकती है।तभी तो गोस्वामी जी ने कहा है कि- "भावी मेट सकहिं त्रिपुरारी।" यह भी कहा जाता है कि किसी बड़ी दुर्घटना या अल्पमृत्यु का काट महामृत्युंजय मंत्र में सन्निहित है लिहाजा लोग इस मंत्र का जप करवाते हैं।
इस दृष्टि से उपर्युक्त स्लोगन का अर्थ बिल्कुल सही है किंतु इस स्लोगन का हुंकार भरने वाले तथाकथित शिवभक्तों ने कभी खुद से पूछने की कोशिश की कि क्या हम सच में शिवभक्त कहलाने के अधिकारी हैं? भक्ति और भक्त होने का दिखावा करने से भगवान् कृपा नहीं करते बल्कि भगवान् को प्रसन्न करने के लिए एक सच्चे साधक की भाँति साधना करनी होती है।
अभी हाल ही में मैंने यूट्यूब पर एक वीडियो (डीजे भेड़िया)देखा जिसमें भेड़िया का मुखौटा लगाए एक व्यक्ति की पीठ पर शिव का टैटू अंकित है और शिवतांडव स्तोत्र के उच्चारण के साथ वह व्यक्ति और उसकी टीम एक लड़की को छेड़ते हुए दर्शाए गए हैं।
यह दृश्य "खूँखार भेड़िया"नामक एलबम का है,जिसका निर्देशन उमा गैटी एवं प्रिंस धीमान ने किया है।
यह अत्यंत शर्म और अनैतिकता की बात है कि शिवतांडव को गाते हुए एक लड़की के साथ छेड़छाड़ की जाती है। जिस शिवतांडव को लंकापति रावण ने शिव की प्रशंसा में गाया उस स्तोत्र को ऐसे अश्लील दृश्यों हेतु प्रयुक्त किया जाता है!
इसके अतिरक्त भी अन्य बहुत बहुत सारे गीत हैं जिनमें राम और कृष्ण को भी नहीं छोड़ा गया है। "दम मारो दम मिट जाए गम,बोलो सुबह-शाम हरे कृष्ण, हरे राम।" -इस गाने में यह स्पष्ट रूप से सलाह दी जा रही है कि गम मिटाने के लिए नशा करलो और नशे की हालत में हरे कृष्ण-हरे राम का जप करो! "राम नाप जपना,पराया माल अपना" जैसे गानों से बॉलीवुड क्या बताने की कोशिश कर रहा है?
बॉलीवुड तो बॉलीवुड आभासी दुनिया और वास्तविक दुनिया में भी लोगों के बीच एक बहुत बड़ा भ्रम घूम रहा है कि शंकर भगवान् गाँजा पीते थे तो हम भी उनका नाम लेकर दो फूँक मार लेते हैं! ऐसी सोच अज्ञानता को दर्शाती है और साथ ही अध्ययन की कमी भी। किसी भी ग्रन्थ में शिव को गंजेडी के रूप में वर्णित नहीं किया गया है।
फिल्में,वेबसीरीज,टीवी सीरियल्स सबमें से कहीं न कहीं एन्टी हिन्दू की दुर्गंध आ रही है। राम के नाम पर कट्टरपंथी,कृष्ण की रासलीला के नाम पर अश्लीलता और शिव के नाम पर नशा दिखाया जाना हिन्दू मान्यताओं और आस्था को ठेस पहुँचाना है। ऐसी अश्लीलताओं पर पूर्णरूपेण प्रतिबंध लगना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी की आस्था बनी रहे देवी-देवताओं पर और हमारे पूज्य आदर्शों की छवि धूमिल न हो!
✍️ अनुज पण्डित
🖕🖕🖕👌👌👌🙏🙏🙏bhaiya
ReplyDeleteबहुत अच्छा भाई अनुज पण्डित ।
ReplyDeleteजहाँ तक मुझे याद है सावन माह में इस विषय पर काम करने की बात हुई थी। साल के जाते-जाते आपने इसे पूरा करके प्रस्तुत कर दिया। सराहनीय है।
यह लेख एक जरुरी विषय पर तो है ही आपने बड़े सम्यक तरीके से इसे समझाया है। इस लेखनी का असर कुछ लोगों पर भी पड़ जाए तो रचने की सार्थकता पूरी हो जायेगी। साथ ही जो भी पढ़ेगा प्रभावित जरूर होगा।
अपने बीच का विश्वास और प्रेम बना रहे।
जय हो!
टेक्निकल गुरु! भाई धन्यवाद💕💕
ReplyDeleteअमित भैया! सादर आभार🙏💐
ReplyDeleteबहुत ही उचित मूल्यांकन किया है आपने आज के कलयुगी शिव भक्तों का।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteBahut sunder vishleshan
ReplyDeleteएकमात्र उपाय बहिष्कार ए बॉलीवुड 🤝
ReplyDeleteआप सभी का हृदय से धन्यवाद🙏💐
ReplyDeleteAaj k yuwa vastvikta se anjan h , unhen bs enjoy chahiye ...
ReplyDeleteजी,गुप्त जी! सहमत
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