Tuesday, December 15, 2020

"बीहड़ का बागी" वेब सीरीज क्या सच में दस्यु सम्राट "ददुआ" से सम्बंधित है?

बीहड़ का बागी : रील लाइफ या रियल लाइफ?

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निर्देशक रितम श्रीवास्तव ने बीहड़ का बागी नाम से जो वेब सीरीज बनाई है उसे लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यह सीरीज बुन्देलखण्ड के बहुचर्चित डकैत शिवकुमार उर्फ़ ददुआ के जीवन पर आधारित है किंतु 

 वेब सीरीज देखने के बाद यह साफ़ पता चलता है कि दस्यु सम्राट ददुआ  के जीवन पर यह फिट नहीं बैठती। वेब सीरीज में  दिलीप आर्य ने शिव की भूमिका में शिवकुमार का रोल तो बखूबी निभाया है किंतु निर्देशक का उद्देश्य ददुआ की कहानी दिखाना नहीं बल्कि मात्र उसके नाम पर वेब सीरीज बनाकर कमाई करना है।

इस वेब सीरीज में बुन्देलखण्ड को  बदनाम करने और नीचा दिखाने की पूरी कोशिश की गई है। "बुन्देलखण्ड का रिवाज है डाकुओं को पनाह देना" आदि कुछ वाक्य ऐसे हैं जो यह संकेत करते हैं कि डाकू बनना और उनको शरण देना यहाँ की परम्परा है। किंतु निर्देशक ने यह जरा भी सोचने की कोशिश नहीं की कि आख़िर किन विवशताओं के तहत लोग डाकुओं को पनाह देते रहे हैं! 


पहाड़ों, जंगलों के नीचे बसे जो गाँव हैं,तनिक वहाँ रहने वाले लोगों से पूछिये कि किस तरह वे पुलिस और डाकुओं के बीच भय के माहौल से जूझते रहते हैं। यदि पुलिस को सूचना दी तो डाकू उन्हें प्रताड़ित करते हैं और यदि डाकुओं का पक्ष लिया तो मुखबिरी के जुर्म में पुलिस उन्हें अंदर कर देती है। अब  पुलिस  चौबीस घण्टे गाँववासियों को सुरक्षा तो प्रदान कर नहीं सकती लिहाजा मजबूरन गाँव की गरीब और डरी हुई जनता डाकुओं का कहना मानकर चुपचाप ज़ुल्म सहती है।

निर्देशक को वेब सीरीज में यदि सच में ददुआ की कहानी दिखाना था तो इसके लिए उन्हें बुन्देलखण्ड के उन इलाकों का जायजा लेकर जनसंवाद करके सम्बन्धित कहानी तैयार करनी चाहिए थी क्योंकि निर्देशक ही इस वेब सीरीज की कहानी के लेखक भी हैं।  


उस कहानी में यह दिखाने का पूरा प्रयास किया जाना चाहिए था कि आख़िर दस्यु सम्राट के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले ददुआ ने उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के जंगलों में लगभग तीस वर्षों तक अपनी दहशत बनाये रखने में कैसे कामयाब रह सका था! वेब सीरीज में डकैत शिव की पत्नी को विधायक और उसके भाई लालकुमार को व्यभिचारी के रूप में दिखाकर  शिव के विश्वासपात्र डॉक्टर साहब द्वारा उसकी हत्या करवा देना ये दोनों बातें शिवकुमार ऊर्फ़ ददुआ के जीवन से बिल्कुल अलग-थलग पड़ी दिख रही हैं। 

इसके अतिरिक्त एक पुलिस मुठभेड़ के तहत डाकू शिव का एनकाउंटर द्वारा हनुमान् जी की प्रतिमा के समक्ष  मारा जाना भी कपोल कल्पना ही है क्योंकि ददुआ की मृत्यु की कहानी लोगों के मुँह से कुछ अलग रूप में सुनने को मिलती है। 

डाकू शिव को हनुमान् भक्त दिखाकर हनुमान् जी के समक्ष ही मार गिराना  यह सोचने पर विवश करता है कि क्या एक भक्त की आस्था और अपने आराध्य के प्रति उसके विश्वास  का कोई महत्त्व नहीं? 

वेब सीरीज में डकैत शिव का एनकाउंटर दिखाकर पुलिस को हीरो बनाने का पूरा प्रयास किया गया है किंतु जरा सोचिए कि यदि कोई बदमाश पुलिस को चकमा देकर तीस वर्षों तक अपनी धौंस जमाये रहा तो इसकी मुख्य वजह पुलिस की असफ़लता और राजनीतिक हस्तक्षेप ही रहे होंगे! 

वेब सीरीज में यह भी कहा गया है कि बुन्देलखण्ड के लोग डकैतों की मूर्तियाँ लगाकर इनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मैं इस तथ्य को एक सिरे से ख़ारिज करते हुये निर्देशक को बताना चाहूँगा कि कुख्यात डकैत ददुआ ने हनुमान् जी का  एक विशाल मंदिर बनवाया था।उसी मन्दिर में ददुआ और उसकी पत्नी की प्रतिमाएँ भी स्थापित हैं किंतु उस मंदिर में लोग हनुमान् जी की पूजा करने जाते हैं न कि सपत्नीक ददुआ की। उनकी मूर्तियाँ मात्र निर्माणकर्ता के रूप में लगायी गयी हैं, न कि प्राणप्रतिष्ठित  देवता के रूप में!


चित्रकूट समेत समूचे बुन्देलखण्ड के लिए डकैत शिवकुमार ऊर्फ़ ददुआ एक मसीहा था या दुर्दांत अपराधी ? इसका ज़वाब यहॉं की जनता से संवाद करके ही प्राप्त किया जा सकता है। वैसे तो कोई डाकू,बदमाश और समाज में अव्यवस्था फैलाने वाले लोग मसीहा नहीं बल्कि अपराधी के रूप में ही जाने जाते हैं किंतु उनके द्वारा कुछ ऐसे समाजसेवी कार्य कर दिए जाते हैं जिनके कारण जनता उनकी सराहना भी क़रती है।

इस तरह  "बीहड़ का बागी" वेब सीरीज का यह दावा बेबुनियाद और खोखला है कि वह बुन्देलखण्ड के दस्यु सम्राट शिवकुमार ऊर्फ़ ददुआ के जीवन पर आधारित है और इसीलिए इसे रियल लाइफ नहीं बल्कि मात्र रील लाइफ कहना ही समीचीन होगा।


        ✍️अनुज पण्डित
#फ़ोटो_साभार_गूगल
         
        


8 comments:

  1. बिल्कुल सत्य लिख दिए आप
    इस वेब सीरीज का दाद्दुआ की कहानी से बिल्कुल लेना देना नही है।

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  2. बिल्कुल सही लिखा है

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  3. धन्यवाद,आप सबका!🙏

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  4. एकदम सही कहा आपने भैया

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  5. बहु सम्यक् भ्राता

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  6. उत्तम लेखन 👏👏👍

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  7. सादर आभार आपका🙏

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