Sunday, February 19, 2023

एस एस राजामौली की आँखें खोल देगी यह पोस्ट

फिल्म निर्देशक एवं पटकथा लेखक एस एस राजामौली ने धार्मिक ग्रन्थ पढ़ लिए,तीर्थयात्राएँ भी कर लीं किन्तु दुःखद कि वे "धर्म" को ही नहीं पढ़-समझ पाए! यदि धर्म के विषय में पढ़ा तो यह प्रश्न उठता है कि आख़िर उन्होंने कौन-सी पुस्तक पढ़ ली जिससे इन्हें धर्म शोषण के अतिरिक्त और कुछ  भी नहीं लगा! मैंने पहले भी कहा था और फिर कहता हूँ कि "धर्म की वास्तविक समझ न रखना भी अधर्म है।"
मैंने तो आजतक कोई भी ऐसी प्रामाणिक पुस्तक न देखी जिसमें धर्म को शोषण कहा गया हो! इतने उत्कृष्ट निर्देशक का धर्म को लेकर ऐसा चिन्तन वाकई महदाश्चर्य है। अब इन्हें कौन समझाए कि फ़िल्म निर्देशित करना इनका धर्म है। यदि इनकी दृष्टि में धर्म शोषण मात्र है तो फिर इनका फिल्में बनाना एक प्रकार से शोषण ही हुआ! ऐतिहासिक और पौराणिक सन्दर्भों पर फ़िल्म बनाने वाले निर्देशक की ऐसी मानसिकता! 
इस देश में आख़िर कब लोग धर्म का ठीक-ठीक मायने जानेंगे! धर्म है-आग का जलाना, पानी का शीतलता, वायु का बहना,वृक्षों का प्रसून और फल देना। विद्यार्थियों का धर्म है अध्ययन करना,शिक्षक का धर्म है अध्यापन करना,बिच्छु का धर्म है डंक मारना,भक्त का धर्म है अपने इष्ट की आराधना और भक्ति । और तो और... धर्म है -मानवता। सत्य बोलना,ईमानदार रहना,मन,कर्म,वाणी से पवित्र रहना,धैर्य रखना,क्षमा,इन्द्रियों को नियंत्रित रखना,अपरिग्रह, क्रोध न करना-ये ही लक्षण तो मनु ने भी बताये! क्या कोई कह सकता है कि मानव को इन गुणों से युक्त नहीं होना चाहिए? क्या इनको धारण करना मानवता नहीं? 

इन्हीं गुणों को धारण करने की बात कही गयी। "धारयति इति धर्म:"- धर्म की यह सर्वमान्य परिभाषा चीख-चीख कर यही तो कह रही है। महाभारत के वनपर्व में भी धर्म की परिभाषा का कोई गूढ़ अर्थ नहीं। अत्यंत सरल और बोधगम्य परिभाषा है- "स्वकर्मनिरतो यस्तु धर्म: स इति निश्चय:"......अर्थात् अपने कर्म में संलग्न रहना निश्चय ही धर्म है। यदि मानवता को कोई धर्म नहीं मानता तो निश्चित रूप से धर्म और कुछ नहीं, बस शोषण है। आप धर्म का वर्गीकरण कर सकते हैं किन्तु शोषण कहना आपकी अज्ञानता है। 
एस एस राजामौली न जाने कौन-सी पुस्तकें पढ़ते हैं! मुझे सन्देह है कि ये पौराणिक और ऐतिहासिक सन्दर्भों पर फिल्में कैसे बनाते हैं! कटप्पा ने बाहुबली को मारा,वह उसका राजधर्म था,रामचन्द्र वनवास चले गए,वह उनका पुत्रधर्म था। समझाओ  कोई इन्हें! 
                 ✍️ अनुज पण्डित

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