Saturday, April 22, 2023

आइये जानते हैं "परशुराम" से जुड़ी ख़ास जनाकारी

🍂सृष्टि के प्रथम राम "परशुराम"

मान्यता है कि इस सृष्टि में कुल सात जन चिरञ्जीवी हैं- "अश्वत्थामा बलिर्व्यासोसो हनूमांश्च विभीषण:।
    कृप: परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविन:।।"
अर्थात् अश्वत्थामा, राजा बलि, वेदव्यास,हनुमान्,विभीषण,कृपाचार्य तथा परशुराम । अब यहाँ पर 'चिरञ्जीवी' का अर्थ "अमर" मत लगा लीजिएगा क्योंकि इस मर्त्यलोक में जो जन्मा है,उसका मरण निश्चित है। लम्बी अवधि तक जीने वाले किसी भी जीव को अमर-संज्ञा दी जा सकती है। वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया को जमदग्नि तथा रेणुका से जन्मे  परशुराम का नाम केवल राम था,बाद में धनुर्विद्या हेतु शिव की उपासना करने से शिव ने प्रसन्न होकर इन्हें एक दिव्य परशु(फरसा) प्रदान किया, तभी से इनका नाम परशु समेत परशुराम पड़ा। भगवान् विष्णु के छठे अवतार परशुराम ही एकमात्र ऐसे अवतार हैं जिनके रहते विष्णु का एक और अवतार हुआ,अन्यथा एक अवतार के रहते दूसरा अवतार कभी न हुआ था। ईश्वर की लीला कितनी विचित्र है न कि एक अवतार दूसरे अवतार को तब तक नहीं पहचान पाया जब तक कि चाप चढ़वाकर परीक्षण न कर लिया! एकमात्र ये ही एक  अवतार हैं जिन्होंने अपने उत्तरवर्ती अवतारों के समय भी अपनी उपस्थिति प्रदान की। महाभारत काल में भीष्म,द्रोण तथा कर्ण को शिक्षा दी तथा कलियुग में भी होने वाले अवतार को शिक्षा देने का   दायित्व इन्हीं का होगा।
 शास्त्र ज्ञान से ब्राह्मण तथा शस्त्र ज्ञान से क्षत्रिय विप्रकुलशिरोमणि परशुराम ने जो भी किया समाज के कल्याण हेतु ही किया। आततायी कार्तवीर्य अर्जुन के वंश के लगभग इक्कीस राजाओं का संहार करके उन्होंने पृथ्वीवासियों को शान्ति तथा अभय प्रदान किया। विष्णु के इस अवतार ने कहीं पर भी अपना ईश्वरत्व प्रकट नहीं किया,बल्कि एक मानव की भाँति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहे। न केवल आतताइयों को मारकर समाज को भयमुक्त किया बल्कि अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा देकर समाज को विद्यादान भी किया। वे परशुराम ही थे जिन्होंने सर्वप्रथम नारी सशक्तिकरण का बिगुल फूँका। इस प्रकार परशुराम के रूप में नारायण के इस अवतार ने ब्राह्म तथा क्षात्र दोनों धर्म निभाकर समाज का सर्वविध कल्याण किया।

                                 ✍️ अनुज पण्डित

2 comments:

भक्ति और उसके पुत्र

🍂'भज् सेवायाम्' धातु से क्तिन् प्रत्यय करने पर 'भक्ति' शब्द की निष्पति होती है,जिसका अर्थ है सेवा करना। सेवा करने को 'भ...