Thursday, December 3, 2020

आख़िर क्यों नहीं करना चाहिए नागिन डांस का उपहास ?

बेशक़ शादी-ब्याह से अब बीन बाजा लुप्त हो चुका है किंतु नागिन नाच आज भी अनिवार्य रूप से प्रतिष्ठित है। आजतक अटेंड की गयी शादियों में मैंने कोई शादी ऐसी नहीं देखी जिसमें नागिन धुन न बजी हो और उस धुन पर आम आदमी से लेकर वीवीआइपी तक ने हाथ के पंजों से फन न काढ़े हों!


माना कि  नयी पीढ़ी आधुनिक गानों के वशीभूत होकर परम्परा रूप में विकसित नागिन डांस को देखकर दाँत निपोर देती है किन्तु यह सोचने योग्य बात है कि आधुनिक गाने एवं उनकी धुन बस कुछ ही दिनों तक हमारे बीच घूमते नजर आते हैं। लेटेस्ट गाना आते ही पहले वाला फुर्र हो जाता है किंतु नागिन की धुन  परम्परा रूप में आज भी हमसबके बीच विद्यमान है। आख़िर कुछ तो विशेषता होगी इस धुन की और इस पर थिरकने की!

 जिस तरह से शादी में नाऊ, नाउन, पण्डित,धोबिन, आदि अनिवार्य तत्त्व हैं ,उसी तरह नागिन धुन पर नृत्य भी अनिवार्य सा प्रतीत होता है! यूँ तो मैंने क़ई ऐसे नाचगीर भी देखे हैं जो नागिन नाच इतनी शिद्दत से करते हैं कि अपने नए या स्तरी किये हुए कपड़ों की परवाह किये बगैर लोट जाते हैं जमीन पर, फिर चाहे गोबर,पान की पीक या कीचड़-धूल ही क्यों न लपेटना पड़े!   

इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे भी  नागिन नाच-नचैया दिखते हैं जो रुमाल(हैंकी)  का एक छोर मुँह में और दूजा हाथ में दबाकर नाग तक बनने की कोशिश कर जाते हैं किंतु उत्कृष्ट अभिनेत्री स्वर्गीया श्रीदेवी ने वर्ष 1986 में आयी "नगीना" फ़िल्म में जिस कुशलता से नागिन नृत्य किया था,उस कुशलता से शायद ही अब कोई कर पाए!


उत्सव-समारोह आनन्द के लिए ही होते हैं इसलिए ऐसे करतब देखकर आनन्दमग्न रहिये किन्तु नागिन नाच जैसी परम्परा का उपहास करना उचित नहीं क्योंकि जिस तरह से नयी पीढ़ी को नए गाने और पसन्द हैं उसी तरह पुरनिया लोगों को पुराने! सबकी अपनी-अपनी पसन्द!


                         ✍️ अनुज पण्डित

3 comments:

  1. मैं नागिन तू सपेरा ,आज भी लोकप्रिय है

    ReplyDelete

भक्ति और उसके पुत्र

🍂'भज् सेवायाम्' धातु से क्तिन् प्रत्यय करने पर 'भक्ति' शब्द की निष्पति होती है,जिसका अर्थ है सेवा करना। सेवा करने को 'भ...