Thursday, December 10, 2020

युवा लेखक के जन्मदिवस पर पढ़िये, उनके अन्तस् की आवाज की समीक्षा!

🍂 आज विश्व मानवाधिकार दिवस के साथ ही साथ चित्रकूट के एक उत्कृष्ट कलमकार का जन्मदिवस भी है। तस्वीर में मेरे साथ दिख रहे मन्द मुस्कानधारी Saurabh Dwivedi भैया का पृथ्वी लोक पर आगमन ही मानवाधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु हुआ है। 


मैं तो इसे संयोग नहीं बल्कि नियति की पूर्वमेव निर्मित योजना ही मानता हूँ क्योंकि इनके जन्म के  कुछ वर्षों बाद ही मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया और इनकी जन्मदिनांक के दिन ही इसे मनाने की मंजूरी भी दी गयी!

जो लोग इनसे जुड़े हैं, वे जानते ही होंगे कि इनके लेखन का उद्देश्य   जनकल्याण एवं मानव को उसके अधिकारों के प्रति जागरूक करना ही होता है। 

■ अपनी बेबाक लेखनी से शासन-प्रशासन को सदा सचेत करने वाले, निष्पक्ष समाचार-विश्लेषक युवा -कवि Saurabh Dwivedi भैया द्वारा विरचित #"अंतस् की आवाज" नामक  पुस्तक पढ़ने के बाद मैंने जो अनुभूति की,जो महसूस किया, वह आपके समक्ष बयाँ कर रहा हूँ--


■इस पुस्तक में लगभग 95 शीर्षक हैं जिनके माध्यम से एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को लक्षित करके अपने मन के एहसासों को प्रकट कर रहा है। यह प्रेमी कोई भी हो सकता है किंतु इन एहसासों को पढ़कर यह साफ़ स्पष्ट हो रहा है कि खुद लेखक ही प्रेमी है जिसने निश्छल भाव से अपने अंतर्मन में अपने प्रेम को जिया है।

■यूँ तो कहने को ये एहसास कविताओं में उपनिबद्ध हैं किंतु मुझे नहीं लगता कि इसे कविता कहा जाना समीचीन होगा क्योंकि लेखक ने ज्यों का त्यों अपने एहसासों को शब्दों में बयाँ कर दिया है। यदि कविता होती तो जबरन इसमें कविता के मानदंडों का ख्याल रखना पड़ता ।बहुतेरे कवि यही करते हैं कि  अपने अनुभव को कविता के रूप में बयाँ करने हेतु जबरन छंद, अलंकार और तुकबन्दी रखने का प्रयास करते हैं जिसके कारण एहसासों के वास्तविक स्वरूप में परिवर्तन नजर आने लगता है। इस पुस्तक के लेखक का अभिप्राय अपनी कविताई दिखाना नहीं बल्कि वास्तविक एहसासों को हूबहू प्रकट कर देना है। इसलिए यह एक नई विधा 'एहसास' के रूप में हम सबके सामने आती है जो कि'कविता लिखता हूँ' नामक शीर्षक में दिखाई पड़ती है मुझे तो वाकई यह अद्भुत् विधा लगी।

■पुस्तक पढ़ते समय आरम्भ में तो प्रेमिका का कोई मूर्त रूप परिलक्षित नहीं होता किन्तु 'मर्दानी' नामक शीर्षक में लेखक ने शरीरधारिणी प्रेमिका का संकेत किया है,क्योंकि यहाँ पर लेखक को महिला जागरूकता की बात कहनी थी। इस पुस्तक में मात्र एहसासों का संकलन नहीं अपितु समाज के युवक-युवतियों के लिए एक सकारात्मक सन्देश और प्रेरणा है।
■'आई लव यू' नामक शीर्षक में एक प्रेमी खुद में स्थापित प्रेमिका के समक्ष प्रणय- प्रस्ताव रखता है जो पुस्तक के अंत तक स्वीकार नहीं किया जाता है। इसका कारण यह है कि लेखक ने एकतरफा प्रेम का संकेत किया है तथा 'इमानऔर विश्वास'नामक शीर्षक में प्रेमिका के प्रति दीनता प्रकट की गई है।  

■'इजहारे मु्हब्बत' में लेखक ने आध्यात्मिक प्रेम को श्रेष्ठ और भौतिक प्रेम की नगण्यता दर्शायी है जिससे स्पष्ट होता है कि आध्यात्मिक प्रेम का क्षरण कभी नहीं होता जबकि भौतिक प्रेम वासना से पूरित होने के कारण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है। 


■लेखक ने कई जगह ऐसी उपमाओं का प्रयोग किया है जिसे कालीदासीय उपमा कहा जा सकता है क्योंकि कालिदास ने ज्यादातर उपमाएँ प्रकृति से दी हैं और इस पुस्तक के लेखक ने भी जगह-जगह प्रकृति की उपमाओं का प्रयोग किया है। लेखक ने मात्र उपमा ही नहीं दी बल्कि उन उपमाओं के माध्यम से विनाश की ओर जाती प्रकृति की चीज़ों के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की है। वृक्ष, नदियाँ, सरोवर ,पक्षी और घोसलों के माध्यम से लेखक ने अपने एहसासों की अभिव्यक्ति की है ,लेखक ने चीख-चीख कर यह संदेश दिया  है कि इन सारी प्राकृतिक सम्पदाओं का विलुप्तीकरण हो रहा है जिसकी चिंता और संरक्षण  लेखक की और समाज की नैतिक जिम्मेदारी है। 

■लेखक को प्रकृति से इतना अधिक लगाव है कि उसने पुष्प को ही प्रेम का प्रतीक मान लिया है और उस प्रेम रूपी पुष्प को देख-देखकर ही वो अपने एहसासों को प्रेमिका से कहता है।इसके अतिरिक्त लेखक ने विश्व में बढ़ते जल-संकट के प्रति चिंता व्यक्त की है जिसे 'कीमत' और 'तरोताजा' नामक शीर्षकों में देख सकते हैं। अपने एहसासों और प्रेम की तुलना पानी से करके लेखक ने save water का समर्थन किया है तथा समाज को जल के प्रति सचेत किया है जो नितान्त समसामयिक है।

■कहीं-कहीं तो लेखक  उपमाओं के प्रयोग में सबको पीछे छोड़ कर खुद  श्रेष्ठ उपमाकार साबित हुआ है ,जैसे हाइड्रोजन से प्रेम की तुलना, कम्बल से प्रेम की तुलना वास्तव में अकल्पनीय और अद्भुत् है। लेखक ने ऐसी-ऐसी चीजों के माध्यम से अपने प्रेम को प्रकट किया है  जो लगभग सभी की दिनचर्या का साधन होती हैं, जो सुगमता से समझ में आ सकें। हाँ एक जगह 'एन्टी रोमियो स्क्वायड' का उदाहरण देकर लेखक ने वासनात्मक प्रेम का भी संकेत किया है क्योंकि यह स्क्वायड वासना में लिप्त युवक-युवतियों से सम्बंधित था न कि आध्यात्मिक प्रेम से। 

■'कोहिनूर' नामक शीर्षक में  लेखक ने राष्ट्रीय धरोहर के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की है क्योंकि भारत का कोहिनूर विदेश में है। यह बहुत अच्छी बात है और विशेषता भी जब कोई लेखक अपनी रचना में राष्ट्रीय हित की बात करता है ,भले ही वो बातें उपमा के रूप में ही क्यों न हों!


■पुस्तक  में  कविता के रूप में संकलित शीर्षकों को पढ़ते हुए कई बार एकतरफा प्रेम,प्रेमिका को धमकी(जीवन का रहस्य) कि तू नहीं मेरा प्रेम स्वीकार करेगी तो अन्य लोग भी हैं जो मेरा प्रेम पाने को तैयार हैं, प्रेमिका के प्रति दीनता, खोई हुई या मृत प्रेमिका की प्रतीक्षा -ये सब बातें कहीं न कहीं सच्चे प्रेम पर शक पैदा करती हैं जबकि लेखक /प्रेमी का प्रेम विशुद्ध है!

■लेखक प्रेम  की परिभाषा, अर्थ और स्वरूप की जानकारी और समझ  भलीभाँति रखता है क्योंकि प्रेम की अवस्था में क्या करना चाहिए या क्या होता है ये सब बातें भी अपनी पुस्तक में बताता है। जैसे प्रेम हो जाने पर संगीत सुनना मनको सुख देता है(अहसासों का खजाना) है, सिर्फ पा लेना ही प्रेम नहीं(विशुद्ध प्रेम),प्रेम के लिए निष्कपट मन होना चाहिए(प्रेम का गुब्बारा) आदि बातें एक आदर्श प्रेम की स्थापना करती हैं। 

■कई जगह तो लेखक /प्रेमी अपने प्रेम को खोता हुआ देखकर समाज और कानून पर तंज भी कसता है जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार से हमारा समाज प्रेम का दुश्मन बना बैठा है। प्रेम में कानून और बन्धन नहीं होने चाहिए बल्कि प्रेम तो बेशर्त होता है।'व्यस्तता'नामक शीर्षक में लेखक ने बताया कि विदेह की अवस्था में भी एक सच्चा प्रेमी अपनी प्रेमिका को नहीं भूलता। प्रेम विश्वास पर टिका होता है। 'अखरोट' शीर्षक में तो प्रेम को ईश्वर ही मान लिया गया है।

■सबसे अद्वितीय बात तो यह है कि लेखक ने अपने एहसासों को बयाँ करने के लिए उदाहरण के तौर पर आधुनिक तकनीकी मोबाइल में प्रयोग होने वाले सॉफ्टवेयर्स का सहारा लिया है ।जैसे -शेयर इट,हर्ट एक एप  वाकई अद्भुत् उपमाएँ हैं। 'सही का टिक मार्क' नामक शीर्षक को पढ़कर मेरे मुँह से भी दो पंक्तियाँ निकल पडीं-कि 
"काश!कोई पैमाना होता मोहब्बत नापने का तो,
शौक से आते हम भी तेरे पास सबूत के साथ।"

■कहीं-कहीं विरोधाभास भी नजर आता है जो कि नगण्य है। पर्यारण के प्रति प्रेम(आच्छादन) भी स्पष्ट है। 

■ प्रेमिका का स्वरूप निश्चित नहीं,एकतरफा प्रेम, प्रेमिका के प्रति दीनता, प्रेमिका को धमकी, प्रेमिका खोई है या मृत यह भी स्पष्ट न होना, विरोधाभासी बातें आदि कुछ नगण्य दोष हैं । किन्तु प्रेम की अभिव्यक्ति, एहसासों में ईमानदारी, अनोखी उपमाओं का प्रयोग, प्राकृतिक वस्तुओं से लगाव और उनके प्रति चिंता, प्रेम विरोधी समाज को उलाहना, अपने भीतर ही अर्धनारीश्वर का निवास आदि बातों से यह साफ़ है कि लेखक ने  एक विशुद्ध प्रेम अपने अंतस् में जिया होगा, तब जाकर ऐसी अभिव्यक्ति कर सका है। 

■बस अब इतना ही कहूँगा क्योंकि मेरी समझ से प्रेम कहीं ज्यादा बड़ा है। मुझे जो महसूस हुआ, सो मैंने छोटी सी समीक्षा के रूप में अपनी बात रख दी।पुस्तक वास्तव में हृदयस्पर्शी है ,प्रेरणादायिका है,भावनात्मक करने वाली है। इसलिए आप  सब भी अवश्य पढ़िए, यह पुस्तक amazon पर उपलब्ध है-#अंतस्_की_आवाज ।

#Happy_birthday💕💐
#world_human_rights_day
                         
                         ✍अनुजपण्डित

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