Monday, January 11, 2021

पढ़िये,युवा दिवस पर खरी-खरी बात।

      प्रत्येक वर्ष स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती के उपलक्ष्य में समूचे विश्व में युवा दिवस मनाया जाता है, जिसके अंतर्गत जगह-जगह पर सभाएँ आयोजित कर युवा अपने विचारों की गंगा बहाते हैं ,किन्तु अत्यंत अल्प युवा ही स्वामी जी के व्यक्तित्त्व एवं विचारों से ओतप्रोत हैं।स्वामी जी ने युवाओं को किस रूप में देखना चाहा और आज के युवा किस रूप में जी रहे हैं! यह विचारणीय है।

स्वामी जी कहते थे कि युवा वह है, जिसमें सदाचार, ईमानदारी,सिंह सदृश ऊर्जा ,नचिकेता जैसी लगन और विशुध्द देशप्रेम हो,किन्तु अफ़सोस सम्प्रति ऐसे युवाओं का प्रतिशत न के बराबर दिख रहा है।परिवार से लेकर देशव्यापी मुद्दों तक आज के अधिकांश युवा बेईमान,विश्वासघाती और कर्त्तव्यों के प्रति लापरवाह दिखाई दे रहे हैं।


लगभग 90%युवा ऐसे हैं जो मात्र और मात्र दिखावे हेतु  शिष्टाचार और कर्तव्यनिष्ठता का चोला धारण करके फ़िर रहे हैं।पारिवारिक जिम्मेदारियों,समाज के प्रति उत्तरदायित्त्व,और देशहित सम्बन्धी कार्यों में इन युवाओं को कोई दिलचस्पी नहीं। किसी दिवस विशेष पर बड़ी-बड़ी बातें करके आप अपनी वास्तविक छवि तो छिपा सकते हैं किंतु आप जब अपनी आत्मा से पूछेंगे कि मैं कितना सही हूँ तो आपकी आत्मा चीत्कार करेगी। 

यद्यपि यह कटु सत्य है कि आज नए भारत के युवाओं को देशसेवा,परोपकार और सामाजिक योगदान देने की चिंता कम ,आर्थिक स्थिति मजबूत करने की चिंता कहीं ज्यादा सता रही है। ऐसा मेरा मानना है कि आज के अधिकांश युवा धनाभाव के चलते अपने उद्देश्य तक नहीं पहुँच पाते,प्रतिभाएँ दफ़न हो जाती हैं, देशप्रेम को दिल में दबाए दो वक्त की रोटी का इंतज़ाम करने में ही जीवन व्यतीत हो जाता है।


उस देश के युवाओं से राष्ट्र-निर्माण की क्या अपेक्षा की जाये जिन युवाओं का मानसिक शोषण वहाँ की सरकारें ही कर रही हों।करोड़ों की संख्या में युवा साथी दिन-रात मेहनत करके सरकारी नौकरी के लिये जूझ रहे हैं किंतु सरकार और प्रशासनिक व्यवस्था उनको घुट-घुट कर मरने पर मजबूर कर रही हैं।

समाज सेवा,देश निर्माण तथा स्वस्थ विचारों वाला बनने में आर्थिक गरीबी और पारिवारिक जिम्मेदारी बार-बार दीवार बनकर खड़ी हो जाती हैं।

आज देश में युवाओं को कई वर्गों में विभाजित करके देखा जाय तो इनमें एक वर्ग ऐसा है जो घिनौनी राजनीति के जाल में फँसकर नैतिकता और सकारात्मकता को रौंदता रहता है।अपनी शिक्षा, संस्कार और कर्त्तव्यों को ढककर मात्र कुत्सित नेताओं की जुबान ही बोलता है।

एक वर्ग ऐसा है जो नेताओं,अधिकारियों की चाटुकारिता करके एक प्रतिष्ठित और आदर्श बन जाता है। ऐसे अयोग्य युवाओं को चमकाने में बहुत बड़ा हाथ अखबारों और टीवी चैनल्स का रहता है।

किन्तु इन्हीं युवा वर्गों में एक वर्ग ऐसा भी है जो वास्तव में योग्य ,प्रतिभावान और कर्तव्यनिष्ठ है किंतु ऐसे युवाओं पर शायद ही किसी की कृपादृष्टि पड़ती हो!यह युवा वर्ग अपने अस्तित्त्व के लिए अपनी दशा एवं दिशा तय करने में पूरा यौवन खपा देता है किंतु कोई तवज्जो नहीं देता क्योंकि आजकल जो दिखता है वही बिकता है।

क्या स्वामी जी ने ऐसे ही युवाओं की कल्पना की थी जो आज के भौतिकतावादी युग में नख-शिख डूबकर वासना    में लीन हो गए हैं ,जो राह चलती बेटियों पर अपनी कामुक नजर गड़ाए खड़े रहते हैं, जो चौराहे पर खड़े होकर मार-पीट और लड़कीबाजी की बातें करते हैं!

नहीं,, स्वामी जी ने एक ऐसे युवा की कल्पना की जो सत्य,नैतिकता, संस्कारों के सहारे  कर्तव्यपथ पर चलता हुआ ,खुद को चारित्रिक दोष से बचाकर अपने लक्ष्य तक पहुँचे।

देश के युवा आने वाले कल का निर्माण करते हैं,यदि इस बात को गम्भीर होकर सोचें तो आपको लगेगा कि अरे!यदि आज का युवा इतना कुत्सित और कर्तव्यहीन है तो आनेवाले कल का स्वरूप कितना भयावह होगा! अतः समस्त युवाओं से आग्रह है कि सब अपने-अपने कर्तव्यों को समझें,अपनी आर्थिक स्थिति पर ध्यान दें क्योंकि यदि पेट और जेब दोनों भरे हैं तभी स्वस्थ विचारों का उत्सर्जन सम्भव है और तभी आप राष्ट्र-निर्माण में सहयोग कर सकते हैं।


देश -प्रदेश की सरकारों को भी युवाओं की बेहतरी हेतु ठोस एवं गम्भीर कदम उठाने होंगे ताकि देश शसक्त एवं विचारवान बन सके।  
 ख़ैर.....!
#युवा_दिवस_की_शुभेच्छा
                                        ✍️अनुजपण्डित

2 comments:

  1. Sach me hm aaj naro or vicharo tk hi simit rah gye hai , bahut umda lekh

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  2. बहुत ही उम्दा लेखन

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