Sunday, February 7, 2021

मंगलाचरण क्या है?इसका प्रयोग किस लिए होता है?

🍂किसी भी शुभ कार्य को आरम्भ करने से पहले,यहाँ तक कि ग्रन्थ-लेखन के आदि में भी  मंगलाचरण करना भारतीय संस्कृति की परम्परा रही है। शास्त्रकारों ने मंगलाचरण के तीन भेद किये हैं-1-नमस्कारात्मक, 2-आशीर्वादात्मक एवं 3-वस्तुनिर्देशात्मक।


नमस्कारात्मक मंगलाचरण में कवि अपने आराध्य देव की वंदना करता है । ज्यादातर संस्कृत ग्रन्थों के नमस्कारात्मक मंगलाचरण में विष्णु(राम), शिव और शक्ति की वंदना ही मिलती है जिसके आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि अमुक कवि वैष्णव होगा,शैव होगा या तो शाक्त होगा!

आशीर्वादात्मक मंगलाचरण के माध्यम से कवि स्वयं या सभी के लिए ईश्वर से मंगल की कामना करता है या सबकी रक्षा हेतु प्रार्थना करता है।

वस्तुनिर्देशात्मक के माध्यम से कवि रचे जाने वाले ग्रन्थ की विषयवस्तु के बारे में संकेत प्रदान कर देता है।

मंगलाचरण की उपस्थिति ज्यादातर संस्कृत ग्रन्थों में ही दिखती है!
                               ✍️ अनुज पण्डित

No comments:

Post a Comment

भक्ति और उसके पुत्र

🍂'भज् सेवायाम्' धातु से क्तिन् प्रत्यय करने पर 'भक्ति' शब्द की निष्पति होती है,जिसका अर्थ है सेवा करना। सेवा करने को 'भ...