Wednesday, February 17, 2021

"संस्कृत बोलचाल की जीवित भाषा है"-भ्रांति या सच

🍂संस्कृत का पठन-पाठन मात्र ग्रन्थों तक ही सीमित था और बोलचाल में उसका प्रयोग पुराकाल में भी नहीं होता था-यह एक भ्रान्ति है।

 वास्तव में रामायण और महाभारत काल में भी संस्कृत बोलचाल की भाषा थी। रामायण में  इल्वस नामक राक्षस ब्राह्मण का वेश धर कर और संस्कृत बोलकर ही ब्राह्मणों को अपने वश में करता था। अशोक वाटिका में हनुमान् जी यह विचार किया था कि माता सीता से किस भाषा में बात की जाए! और अंततः संस्कृत में ही बात की (वाचं चोदाहरिष्यामि मानुषीमिह संस्कृतम्)। 
पुराने व्याकरणग्रन्थों से भी संस्कृत का प्रचार-प्रसार सिद्ध होता है। सातवीं शताब्दी ईस्वी पूर्व के निरुक्तकार यास्क ने वैदिक संस्कृत से इतर संस्कृत को "भाषा" कहा है,जिससे संस्कृत का बोलचाल की भाषा होना सूचित होता है।चार सौ ईस्वी पूर्व के पाणिनि ने संस्कृत को लौकिक अर्थात् लोकव्यवहार की भाषा माना है। उन्होंने दूर से बुलाने ,प्रणाम और प्रश्नोत्तर करने में कुछ स्वर-सम्बन्धी नियम बताए हैं, जिनसे संस्कृत का प्रचलित भाषा होना प्रमाणित होता है। यास्क और पाणिनि ने संस्कृत की पूर्वी और उत्तरी विशेषताएँ बतलायी हैं, जिनसे यह पता चलता है कि संस्कृत न केवल साहित्यिक भाषा थी अपितु अलग-अलग स्थानों में बोली जाने के कारण इसमें स्थानीय विशेषताएँ भी आयीं।
ब्राह्मणों के अतिरिक्त अन्य वर्णों में भी उसका प्रचार था।महाभाष्य में एक सारथि एक वैय्याकरण के साथ भूत शब्द की व्युत्पत्ति पर विवाद करता है। संस्कृत बोलने वाले को शिष्ट/सभ्य कहा जाता था,न बोलने वाले भी समझते थे। संस्कृत नाटकों के निम्नपात्र प्राकृतभाषी होते हुए भी संस्कृत में बोली गयी पंक्तियों का प्रत्युत्तर आसानी से देते हैं।संस्कृत नाटकों से भी प्रमाणित होता है कि नाटकों का मंचन तभी होता रहा होगा जब आमजन संस्कृत क़ई समझ रखते रहे होंगे! यह जरूर है कि पुराकाल में संस्कृत उसी प्रकार शिक्षित एवं सभ्य वर्ग की भाषा थी जैसे आजकल खड़ी बोली! 

साहित्यिक प्रसंगों और राजकार्य में भी संस्कृत का  अधिकतर प्रयोग होता था। प्राचीन चम्पा उपनिवेश (आधुनिक हिन्द- चीन- इंडोनेशिया) में तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी तक संस्कृत राजभाषा के रूप में व्यवहरित रही। यानि उस समय संस्कृत राष्ट्रभाषा के पद पर आसीन थी और आज भी दक्षिण के कई ब्राह्मण परिवारों में संस्कृत बोलचाल की भाषा है।इस प्रकार संस्कृत बोलचाल की जीवित भाषा है।

                      ✍️ अनुज पण्डित

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