Friday, February 19, 2021

औरंगजेब के चंगुल से कैसे भाग निकले थे वीर शिवाजी?

🍂रोशनआरा अपना प्रेम शिवाजी से प्रकट कर रही थी किन्तु उन्होंने साफ़ कह दिया कि मैं तुम्हें  तभी स्वीकार करुँगा जब तुम्हारा पिता स्वीकृति प्रदान करेगा। 

उसी समय जयसिंह ने हमला बोल दिया। शिवाजी ने उसके मन में हिंदुत्व जगाने का असफ़ल प्रयास किया और इसी असफ़लता के कारण   शिवाजी मुगलों की कुछ शर्तें मानकर संधि करने को विवश हुए। इसी संधि के फलस्वरूप रोशनआरा और मुअज्जम को लौटा दिया गया। 
इसके बाद रघुवीर सिंह की मदद से शिवाजी ने बीजापुर के एक किले पर धावा बोलकर उसे अपने अधीन किया तथा रहमत खान को जिंदा पकड़ लिया परन्तु रहमत खान और क्रूरसिंह ने कुटिल चाल चलकर रघुवीर सिंह को राजद्रोही साबित कर दिया जिसके परिणाम स्वरूप शिवाजी ने उसे निष्कासित कर दिया था। हालाँकि बाद में पता चला कि वास्तव में राजद्रोही तो क्रूर सिंह है!

जयसिंह की संधि के अनुसार 1666 में शिवाजी औरंगजेब के दरबार में उपस्थित हुए। यद्यपि राधास्वामी के वेश में रघुवीर सिंह ने उन्हें रास्ते पर रोकना चाहा किन्तु वे रुके नहीं। शिवाजी को सामने पाकर औरंगजेब ने उन्हें नजरबंद करवा दिया  और कड़ा पहरा लगवा दिया किन्तु अपनी योजना और रघुवीर सिंह की मदद से शिवाजी वहाँ से भाग निकले। तभी पता चलता है कि राधास्वामी के वेश में स्वयं रघुवीर सिंह ही है, तो शिवाजी ने उससे क्षमा-याचना की।

बाद में शिवाजी सतारा को अपनी राजधानी बनाकर रहने लगे थे और कुछ ही दिनों में सम्पूर्ण महाराष्ट्र पर शिवाजी का आधिपत्य हो गया था।


#पं_अम्बिकादत्तव्यास_कृत_शिवराजविजयम्     

                                  ✍️ अनुज पण्डित

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