Saturday, February 20, 2021

प्रयागराज के भरद्वाज पार्क में स्थापित भरद्वाज ऋषि की मूर्ति में खलती है यह कमी!

🍂वनगमन के दौरान सीता और लक्ष्मण  के साथ जब श्रीरामचन्द्र प्रयाग की पावन धरा पर पधारे तब सबसे पहले वे महाकवि वाल्मीकि के शिष्य भरद्वाज ऋषि से मिले। 

उस समय भरद्वाज का आश्रम शिक्षा का महत्त्वपूर्ण केंद्र था। उनका गुरुकुल एक प्रकार से ऐसा विश्वविद्यालय था,जिसमें समस्त प्रकार की विद्याएँ प्रदान की जाती थीं। ऐसा माना जाता है कि ये प्रयाग के प्रथम निवासी थे । यह भरद्वाज ऋषि का ही प्रताप है कि आज भी प्रयागराज शिक्षा का प्रमुख केंद्र है। देश के विभिन्न स्थानों से लाखों की संख्या में विद्यार्थी यहाँ आकर विद्याध्ययन और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। 

अभी कुछ वर्षों पूर्व उत्तरप्रदेश सरकार ने प्रयागराज के बालसन चौराहे पर स्थित भरद्वाज आश्रम में भरद्वाज ऋषि की एक विशाल और दिव्य मूर्ति की स्थापना करवाया है। यहाँ से गुजरते वक्त प्रायः सबकी नजर  इस अद्भुत् प्रतिमा पर पड़ती ही होगी किन्तु शायद ही किसी की नजरों ने वह पकड़ पाया हो,जो मेरी नजरों ने पकड़ा! 

दरअसल मूर्ति को ध्यान से देखने पर यह बात खटकती है  कि  भरद्वाज ऋषि को रुद्राक्ष की माला और वस्त्र तो पहनाए गये हैं किंतु "यज्ञोपवीत" का ख्याल आख़िर क्यों नहीं आया! 

यज्ञोपवीत यानि जनेऊ जो कि सोलह संस्कारों में एक अनिवार्य संस्कार है, जो भारतीय संस्कृति एवं सनातन में विशेष महत्त्व रखता है, उसी को भूल जाना!वह भी एक प्रसिद्ध ऋषि को पहनाने के लिए!

 मुझे नहीं लगता कि कोई और वजह रही होगी जिसके चलते न पहनाया गया हो! यह निरा लापरवाही है उस मूर्तिकार की जिसने इसे गढ़ा! सच कहूँ तो बिना यज्ञोपवीत के यह मूर्ति असहज और अधूरी सी प्रतीत होती है। शायद शासन और प्रशासन का ध्यान इस ओर खिंचे और इस मूर्ति पर एक जनेऊ पहनाने का कार्य किया जाए! 

 ✍️ अनुज पण्डित

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