भारतीय संस्कृति में स्पर्श चिकित्सा ।
नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज, के ज्योतिष,कर्मकाण्ड, वास्तुशास्त्र एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष डाँ.देव नारायण पाठक ने मानव स्पर्श : प्राकृतिक चिकित्सा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में मानव स्पर्श चिकित्सा का बडा महत्व है। प्रचीन भारत में यह हमारी संस्कृति का एक अंग थी।
*मानव स्पर्श (HUMAN TOUCH)* में अद्भुत चिकित्सीय गुण भरे होते है, इसका सर्वोत्तम उदाहरण *माँ की ममतामयी स्पर्श* है। हमें चाहे कितना भी बड़ा शारीरिक, मानसिक या कोई अन्य आघात लगता है... लेकिन यदि *माँ का प्यार भरा स्पर्श* मिल जाता है, तो उस आघात की तीव्रता बहुत कम रह जाती है।इसलिये *मानव स्पर्श एक प्राकृतिक चिकित्सा* है। इस चिकित्सा के द्वारा मानव
( बहुत से असाध्य रोगों में प्रतिदिन नियमित रूप से प्यार-दुलार के साथ रोगियों की उचित देखभाल *संजीवनी बूटी* की तरह अविश्वसनीय लाभ पहुँचाता है।
स्पर्श चिकित्सा* का एक अनुपम उदाहरण रामचरितमानस के लंका कांड में राम-रावण युद्ध के दौरान प्रयोग होते हुये तुलसीदासजी महाराज बताते है कि:- *युद्ध मैदान से प्रतिदिन घायलावस्था में लौटने वाले बानर योद्धाओं को, रात में प्रभु राम अपने हाथों से स्पर्श करके, पूरी तरह स्वस्थ कर देते थे।* जिससे सुबह - सवेरे वह वीर - योद्धा पुन: रणक्षेत्र की ओर कूच कर देते थे।
माँ द्वारा नवजात बच्चे की प्रतिदिन कोमल मालिश से शरीर को सुगठित बनाना, पुराने समय में विदाई /मिलन के समय माता - बहनों का आपस में गले लगकर (भेंट करना) रोना, बड़े - बुज़ुर्गों का पैर छूकर अभिवादन करना, अपने से छोटों को सिर पर प्यार भरा हाथ रखकर आशीष देना, आपसी लड़ाई के बाद पुन: एक दूसरे के साथ गले मिलकर झप्पी देना, आदि सब *स्पर्श चिकित्सा (TOUCH THERAPY)* के ही उदाहरण हैं।
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