Thursday, March 11, 2021

ऊँची पहाड़ी पर स्थापित ऐतिहासिक भगवान् शिव की पंचमुखी प्रतिमा से जुड़े रोचक तथ्य

अयोध्या के राजकुमार भरत जब अपने देवतुल्य भैया राम को घरवापसी के लिए मनाने निकले थे, उस समय राम लक्ष्मण और पत्नी सहित चित्रकूट में निवास कर रहे थे। चित्रकूट  परिक्षेत्र में एक स्थान है भरतकूप जो एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यहाँ एक कुआँ है,जिसमें भरत ने समस्त तीर्थों का जल लाकर डाला था।बस तभी से इसका नाम भरतकूप पड़ा।

भरतकूप से लगभग पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर एक स्थान है मड़फा, जिसका नामकरण मांडव्य ऋषि के नाम पर हुआ,ऐसी मान्यता और जनश्रुति है। 


घुमक्कड़ी जीवन पसन्द है और ऐतिहासिक,धार्मिक एवं अद्भुत् जगहों को जानने-समझने में रुचि रखता हूँ, इसलिए कालिंजर-दुर्ग से लौटते समय इसी  मड़फा की ओर बाइक घुमा दिया। ऊँची पहाड़ी पर स्थित भगवान् शिव एवं उनके मन्दिर की विशेषता के बारे में पहले ही सुन रखा था इसलिए चिलचिलाती धूप में भी  सीढ़ियों पर चढ़कर मन्दिर तक पहुँचने में विशेष थकावट महसूस नहीं हुई।

यहाँ स्थापित भगवान् भोलेनाथ की विशालकाय पंचमुखी प्रतिमा के दर्शन कर असीम आनन्द तो मिला ही साथ ही आश्चर्य भी हुआ कि चन्द्रमौलि की इतनी विशाल प्रतिमा वह भी पंचमुखी,मेरे गृहजनपद में प्रतिष्ठित है! ऐसा कहा जाता है कि मांडव्य ऋषि ने शिव की घनघोर तपस्या की थी,जिससे प्रसन्न होकर शिव पंचमुख रूप में यहाँ प्रकट हुए थे। 


गर्भगृह से थोड़ा पहले मुख्यद्वार है,जो अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। मन्दिर की नक्काशी और बनावट देखकर यह बुन्देलखण्ड राजवंश के समय का प्रतीत होता है। यहीं के किसी नरेश ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था,किन्तु दुर्भाग्य है कि ऐतिहासिक महत्त्व का यह शिवमन्दिर अब खंडहर में तब्दील है।  मन्दिर से पाँच सौ मीटर आगे जाने पर एक तालाब है,जिसका नाम न्यग्रोध है। इसमें स्नान करने से कुष्ठ एवं चर्म रोग में लाभ मिलता है, ऐसा कहा जाता है। मन्दिर इतनी ऊँचाई पर है कि यहाँ से नीचे देखने पर आस-पास के गाँव बिल्कुल छोटे-छोटे दिखाई पड़ते हैं। मुख्य त्योहारों में मेला और आये दिन कीर्तन-भाण्डारा यहाँ चलता ही रहता है। 

लोगों की आस्था और ऐतिहासक एवं पौराणिक महत्त्व का होने के नाते यदि इस मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार करके समुचित साफ-सफाई हो जाये तो इसकी रमणीयता पर चाँद लग जाएँ।


नमः शंकराय🙏           ✍️ अनुज पण्डित

2 comments:

  1. वाकई पौराणिक महत्त्व को मद्देनजर ध्यान देते हुए, इसका जीर्णोद्धार होना चाहिए।

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  2. जी,अमित जी। धन्यवाद💐

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